अनवर सुहैल
उसने अपनी बात कही तोभड़क उठे शोले
गरज उठी बन्दूकें
चमचमाने लगीं तलवारें
निकलने लगी गालियाँ…
चारों तरफ़ उठने लगा शोर
पहचानो…पहचानो
कौन हैं ये
क्या उसे नही मालूम
हमारी दया पर टिका है उसका वजूद
बता दो सम्भल जाए वरना
च्यूँटी की तरह मसल दिया जाएगा उसे…
वो सहम गया
वो सम्भल गया
वो बदल गया
जान गया कि
उसका पाला संगठित अपराधियों से है…